Sunday, September 8, 2013

खतरें में पत्रकार....।

खतरें में पत्रकार....।
देशभर में पत्रकारों पर हो रहे जानलेवा हमले चिन्ताजनक है। हालात ये है कि फील्ड रिर्पोटिंग हो या हिंसक घटनाओं की कवरेज सभी जगह पत्रकार बिल्कुल सुरक्षित नही है। मुज़फ्फरनगर जिले में पिछले एक सप्ताह से चल रही हिंसा में दो पत्रकारों की दर्दनाक मौत हो गयी। आईबीएन-7 के पत्रकार राजेश वर्मा की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई तो एक फोटो पत्रकार इसरार अहमद की भी मौत हो गई। इन दोनों पत्रकारों की मौत से प्रदेशभर के पत्रकारों में शोक की लहर है। हम सभी पत्रकार इनकी आत्मिक शांति के लिये प्रार्थना करते हैं। हम केन्द्र और सभी राज्य सरकारों से पुरज़ोर मांग करते हैं कि आये दिन पत्रकारों पर हो रहे जानलेवा हमलों पर रोक लगाये और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठायें ताकि हम अपना कार्य निड़रता और निष्पक्षता के साथ कर सकें।

     असामायिक मृत्यु का शिकार हुये पत्रकार राजेश वर्मा को मैं दस साल पहले मुज़फ्फरनगर में मिला था। उन दिनों में सहारा समय- उत्तर प्रदेश के लिये काम कर रहा था। जब भी वहां कवरेज के लिये जाना होता था तो राजेश से मुलाकात हो जाती थी। वो बहुत हंसमुख होने के साथ-साथ एक अच्छे वीडियो जर्नालिस्ट भी थे। उनकी दुखदायी मुत्यु की सूचना से मैं आहत हूँ। प्रिय राजेश, तुम हमेशा याद आओगे।

Saturday, August 31, 2013

हमारे देश में ये कैसा कानून....?

हमारे देश की सर्वोच्च अदालत भले ही ये कहती हो कि बलात्कार और यौन हिंसा जैसे संगीन मामले के आरोपी को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिये लेकिन आसाराम की गिरफ्तारी में की जा रही सरकारी लापरवाही ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमारे देश का कानून वाकई दो तरह से काम करता है। इसका आचरण आम आदमी के लिये अलग है और खास आदमी के लिये अलग.... अगर ऐसा ना होता तो बलात्कार और यौन हमले का आरोपी बाबा सलाखों के पीछे होता। यहां तो कानून के रखवालों ने ही उस बाबा को छिप जाने का मौका दे दिया।

Tuesday, August 27, 2013

आगरा में पुलिस वाले लूटेरों से सावधान...!

सावधान.....!
अगर आप देर रात आगरा शहर में कहीं आ-जा रहे हैं और आप अकेले हैं तो आगरा पुलिस के बहादुर जवान आपको तलाशी के नाम पर लूट सकते हैं। अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाला एतिहासिक शहर आगरा.. अब कुछ पुलिस वालों की करतूतों से बदनाम हो रहा है। शहर में चीता मोबाइल का गठन इसलिये किया गया था कि पुलिस किसी भी घटना स्थल या शिकायत पर तुरंत पहुंच जाये। इस चीता मोबाइल में बाइक पर दो हथियारबंद पुलिस वाले सवार रहते हैं। जिन्हे वायरलैस रेडियो भी दिया जाता है। लेकिन आज कल चीता मोबाइल वाले जनता की रक्षा नही बल्कि उनसे लूट करने पर आमदा हैं। इस तरह की शिकायतें आये दिन आ रही हैं।
हाल ही में शमशाबाद रोड़ की एक नई कॉलोनी में रहने वाले ब्रजेश गर्ग अपने किसी काम से ग्वालियर गये थे। रविवार की देर रात वो ट्रेन से आगरा कैन्ट पहुंचे। वहां स्टैण्ड पर खड़ी अपनी बाइक लेकर वो शमशाबाद रोड़ जाने के निकल गये। रात के लगभग दो बजे जब वो माल रोड़ से गुज़र रहे थे, तभी एएसआई ऑफिस के सामने चीता मोबाइल सवार दो पुलिस वालों ने उन्हे रोक लिया और उन पर रोब झाड़ते हुये बाइक के कागज़ और उनका ड्राइविंग लाइसेंस चैक किया। उसके बाद दोनों पुलिस वालों ने तलाशी के नाम पर उनकी जेब में रखे 2100 रुपये और उनका मोबाइल निकाल लिया। मोबाइल को देखने के बाद वो तो वापस कर दिया लेकिन रुपये उन्होने अपने वापस रख लिये। जब ब्रजेश गर्ग ने रुपये वापस मांगे। तो उन्होने गर्ग साहब को चोरी के मामले में फंसाने के नाम पर डराना शुरु कर दिया। 42 साल के ब्रजेश गर्ग इतना घबरा गये कि पुलिस वालों की धमकी सुनकर चुपचाप वहां से निकल गये। आज ब्रजेश गर्ग एक कार्यक्रम में मुझे मिले और उन्होने मुझे पूरी आपबीती सुनाई। मैने कहा कि आपने सुबह एसएसपी या एसपी सिटी से शिकायत क्यों नही कि तो उनका जवाब था कि चीता मोबाइल सवार पुलिस वाले उन्हे किसी भी झूठे मामले में फंसा देंगे क्योंकि उन्होने मेरा नाम-पता भी ले लिया था।

ब्रजेश गर्ग अकेले पीड़ित नही हैं इससे पहले भगवान टॉकीज़ के पास एक एलपीजी एजेंसी पर काम करने वाला बॉबी भी चीता मोबाइल वालों की लूट का शिकार हुआ था। यहां तक कि शहर में कई जगहों पर अवैध धंधे भी इन्ही चीता मोबाइल वालों के संरक्षण में चल रहे हैं। इन्हे कई सफेद पोशों और स्थानीय पत्रकारों का संरक्षण भी मिला होता है। यही वजह है कि इनके खिलाफ कार्यवाही करने में अधिकारी ढीले पड़ जाते हैं। लेकिन अगर इन पुलिस वालों की लूटमार यूँ जारी रही तो शहर की आम जनता का विश्वास पुलिस से उठ जायेगा। यूपी सरकार और पुलिस महकमें की छवि खराब करने वाले ये लोग वर्दी वाले गुण्डे बनकर ही लूट करते रहेंगे।

Friday, August 16, 2013

अमेरिकी भैंसों की ख़बर हमारे चैनल्स पर...

हमारे देश के दो प्रमुख हिन्दी समाचार चैनल अमेरिका के एक शहर की ख़बर दिखा रहे थे। ख़बर ये थी कि अमेरिका के एक स्टेट हाइवे पर दर्जनों भैंसों के आ जाने से वहां का ट्रेफिक करीब आधा घंटा रुका रहा। कमाल तो ये है कि हमारे देश का शायद ही कोई ऐसा नेशनल हाइवे या स्टेट हाइवे हो जिस पर रोज़ाना भैंस या अन्य जानवर ना मिलते हो। यही नही उनकी वजह से आये दिन कई सड़क दुर्घटनाऐं भी होती रहती हैं। लेकिन इस तरह के समाचार हमारे नेशनल न्यूज़ चैनल्स पर यदा-कदा दिखाई देते हैं। आगरा में विश्व धरोहर स्मारक ताजमहल के पूर्वी गेट के सामने से तो सुबह शाम सैंकड़ों भैंसे निकलती हैं और विदेशी पर्यटक जमकर उनकी तस्वीरें लेते हैं और ये मंज़र देख कर हैरान होते हैं लेकिन अस बात की सुध किसी को नही है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेकर ताज महल के आस-पास से तबेले हटवाये और ताजमहल के पीछे यमुना में भैंसों के नहाने पर रोक भी लगाई लेकिन उसके बावजूद ये सिलसिला आज तक जारी है। आगरा ज़िला प्रशासन की लापरवाही से विदेशी पर्यटकों के सामने शहर की छवि तो बिगड़ती ही है साथ ही कई बार यहां हादसे भी हो जाते हैं। लेकिन हमारे न्यूज़ चैनल्स ऐसी ख़बरों पर ध्यान नही देते।

Friday, August 2, 2013

शहरी समाज में भी लड़कियों के साथ होता है भेदभाव

भारत के शहरी समाज में आज कई ऐसे रुढीवादी उदहारण देखने को मिलते हैं जो हमें वर्तमान सामाजिक परिवेश के बारे में नये सिरे से सोचने पर मजबूर कर देते हैं। दो दिन पहले एक कार्यक्रम में मुझे एक डिग्री कॉलेज की छात्राओं को पत्रकारिता और महिला शिक्षा जैसे विषय पर सम्बोधित करने का मौका मिला। पिछले कई सालों से लड़कियों और बच्चों की शिक्षा को लेकर काम कर रहा हूँ तो आदत में आ गया है कि छात्राओं और बच्चों से अक्सर उनकी परेशानियां भी पूछ लेता हूँ। विषय पर अपनी बात कहने के बाद बी.कॉम प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने मुझे बताया कि वो शहर के ही एक इलाके में रहती है। जब वो इंटर कर रही थी तो एक लड़का उसका पीछा करने लगा। वो ऑटो से कॉलेज जाती थी तो वो लड़का रोज़ाना साइकिल से उसका पीछा करता था। कॉलेज से लौट आने के बाद उसके घर के चक्कर लगाया करता था। दस दिन बीत जाने पर उस छात्रा ने ये बात अपनी एक सहेली से कही। सहेली ने उस छात्रा को सलाह दी कि ये बात अपने घर वालों को बता दे। सहेली की बात मानकर उसने लड़के के बारे में अपने घर वालों को सारी बात बता दी। नतीजा ये हुआ कि घरवालों ने उस लड़की के कॉलेज जाने पर रोक लगा दी। उसका घर से निकलना, छत पर जाना और घर के गेट तक पर खड़ा होना तक बंद कर दिया गया। उस छात्रा के परिवार ने पीछा करने वाले लडके के खिलाफ कुछ करने के बजाय उस छात्रा को ही घर में बंद रहने के लिये मजबूर कर दिया। बड़ी मुश्किल से दो माह बाद उसे कॉलेज के इम्तिहान की वजह से घर से बाहर अपने माता-पिता के साथ बाहर जाने की इजाज़त दी गयी। उस छात्रा ने बड़ी मासूमियत से मुझसे ही सवाल किया कि सर आप बतायें कि क्या मैने अपने घरवालों को उस लड़के के बारे में बताकर ग़लत किया था? जो मुझे ही उसकी सज़ा मिली। उस छात्रा की बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया कि वाकई अभी भी एक पढ़ा लिखा परिवार अपने घर की बेटी के साथ ऐसा बर्ताव कैसे कर सकता है। मुछे भी उसकी बात ने सोचने पर मजबूर कर दिया। वाकई इस मामले में उस लड़की की ना तो कोई ग़लती थी और ना ही उसने अपने घरवालों से कुछ छिपाया। फिर भी एक अनजान लड़के की हरकत से उस लड़की के दिल में एक घृणा का भाव पैदा हो गया जो लड़कों को लेकर भी थी और परिवार के प्रति भी। मैने अपने स्तर पर उस लड़की को बेहतर जवाब देने कि कोशिश की। लेकिन ताजुब्ब होता कि आधुनिकता के इस दौर में भी घरवाले बेटियों के साथ ही ऐसा क्यों करते हैं? उस लड़की का सवाल ग़लत नही था। हो सकता है कि अभी भी वो इस तरह की कुछ परेशानियों का सामना करती हो। मैने उसे तो हौंसला दे दिया लेकिन ऐसी ही कई लड़कियां हमारे समाज में और भी हैं उनका क्या?

-          -परवेज़ सागर

Tuesday, June 18, 2013

धीमा ज़हर पी रहे हैं आगरावासी

उत्तरी भारत में पानी के सैलाब से कोहराम मचा हुआ है। खासकर उत्तराखंड़ और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई ज़िलों में बाढ़ की आशंका को देखते हुये रेड़ अलर्ट जारी किया गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश में यमुना से लगा एक ज़िला ऐसा भी हैं जहां के लोगों के पिछले दो दिनों से सीवर का गंदा पानी सप्लाई किया जा रहा है। ये ज़िला है आगरा, जहां जल निगम और जल संस्थान शहर में गंदे और बदबूदार पानी की सप्लाई कर रहा है। उस पर कमाल की बात ये है कि ज़िले के आला प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारों को बुलाकर शहर के लोगों को गंगाजल सप्लाई करने की योजना बता रहे हैं। गौरतलब है कि सूबे की सरकार और आगरा का ज़िला प्रशासन शहरवासियों को पीने के पानी के लिये गंगाजल की सप्लाई का ख्वाब पिछले कई सालों से दिखा रहा है। अधिकारी हों, चाहे नेता सब मीडिया के सामने गंगाजल शहर में लाने के बड़े-बड़े वादे करते रहते हैं लेकिन ये वादे कभी पूरे नही होते। अब पिछले दो दिन से कोई अधिकारी ये जानने वाला नही है कि लोगों के घरों में सीवर का गंदा और बदबूदार पानी क्यों सप्लाई किया जा रहा है। कोई शिकायत सुनने वाला नही है। ग़रीब मलिन बस्तियों और झुग्गियों के लोग तो इसी पानी को पीने के लिये भी इस्तेमाल करते हैं। आगरा में ये कोई नई बात नही है। यहां आये दिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से लोगों के घरों में गंदा सीवर का पानी सप्लाई किया जाता है। ऐसे में आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पिछड़े इलाकों में लोग किस तरह से ये ज़हर पी कर रोज़ाना थोड़ा-थोड़ा मर रहे हैं। ज़रुरत इस बात कि है कि सरकार और ज़िला प्रशासन वादे करने की बजाय ज़मीनी स्तर पर काम करे। अधिकारी अपनी लापरवाही और लालच को छोड़कर शहर के लोगों को पीने का पानी तो कम से कम ठीक से सप्लाई करें। क्योंकि इस शहर में रहने वाले सभी लोग मिनरल वॉटर से ना तो नहा सकते हैं और ना ही उसे पी सकते हैं।
-परवेज़ सागर

Thursday, May 23, 2013

यूपी में सरकार की छवि बिगाड़ रहे हैं कुछ पुलिस वाले

यूपी के युवा और काबिल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रात-दिन एक करके सरकार और पार्टी की छवि बेहतर बनाने के लिये काम कर रहे हैं। उसके बावजूद सरकार और पार्टी में ही कई लोग ऐसे हैं जिनकी वजह से प्रदेश में लगातार कानून व्यवस्था का संकट बना हुआ है। ऊपर से प्रदेश की खाकी यानि उत्तर प्रदेश पुलिस भी सरकार की छवि खराब करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है। इसका ताज़ा उदहारण मंगलवार को आगरा में देखने को मिला। 
वाक्या दोपहर का है, आये दिन की तरह एनएच-2 के वाटर वर्क्स चौराहे से लेकर सुल्तानगंज की पुलिया तक लम्बा जाम लगा हुआ था। लेकिन वाटर वर्क्स चौराहे पर तैनात यातायात पुलिस के दरोगा आरसी यादव अपने एक चहेते होमगार्ड खान के साथ वसूली में लगे हुये थे। जाम की वजह से लोग गर्मी में बिलख रहे थे लेकिन इन्होने जाम खुलवाने के बजाय अपना ज़रुरी काम जारी रखा। इसी बीच जाम में फंसे पी7 न्यूज़ चैनल के स्टॉफ रिर्पोटर यशपाल सिंह किसी तरह से पुलिस बूथ के पास तक पंहुचे। जैसे ही उन्होने अपनी मोटरसाइकिल वहां रोकी तो दरोगा यादव के कहने पर होमगार्ड़ खान ने बिना कुछ कहे सुने उनकी बाइक की चाबी निकाल ली। यशपाल वहां उन्हे जाम के बारे में बताने गये थे उल्टा दरोगा जी ने परिचय देने के बावजूद उनके साथ अभद्रता शुरु कर दी यही नही उन्होने पत्रकार यशपाल को पीटना शुरु कर दिया। इसी दौरान यशपाल ने किसी तरह से अन्य पत्रकारों को फोन कर दिया। इस बात से दरोगा और आग बबूला हो गया और गाली गलौच करते हुये यशपाल को मारने के लिये डंडा ले आया। तभी शहर के तीन-चार पत्रकार वहां पंहुच गये और यशपाल को वहां से बचाकर पूरे मामले की जानकारी एसएसपी सुभाष चंद दुबे को दी। मामले को गंभीरता से लेते हुये एसएसपी ने आरोपी दरोगा को निलम्बित तो कर दिया लेकिन उसके खिलाफ पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज ना करके सिर्फ एनसीआर दर्ज कर खाना-पूर्ति कर दी। मामले से आगरा के पत्रकारों में खासा रोष है। लेकिन एसएसपी के आश्वासन पर यशपाल ने फिलहाल कोई कदम ना उठाने का निर्णय लिया है। 
इस घटना के विरोध में मैने खुद भी पुलिस के आला अधिकारियों से बात की है। लेकिन आये दिन इस तरह की घटनाऐं उत्तर प्रदेश में आम हो रही हैं। जिनकी वजह से पत्रकार प्रदेश में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के दावे और सरकार के वादे केवल बेमानी नज़र आ रहे हैं। अगर जल्द ही ऐसी घटनाओं पर रोक नही लगी तो इसका परिणाम लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। मैं और मेरे सभी पत्रकार साथी इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं।
-परवेज़ सागर

Thursday, April 25, 2013

कबाड़ से निकल रहा है मौत का सामान


आगरा के गौबरचौकी इलाके में एक कबाड़ के गोदाम में हुये भीषण धमाके ने पूरे शहर को दहला दिया। इस हादसे में दो लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ये इलाका ताजमहल से करीब दो किमी. दूर है। यहां एक कबाड़ी रामनिवास अपने गोदाम में रॉकेटनुमा धातु को तोड़ने की कोशिश कर रहा था तभी अचानक ये हादसा हो गया। ठीक उसी वक्त उस गोदाम के बाहर से निकल रहा छोटू भी इस धमाके का शिकार हो गया और उसकी भी मौके पर ही मौत हो गयी। एक व्यक्ति गंभीर अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहा है। पुलिस का कहना है कि कबाड़ में सेना के चांदमारी क्षेत्र से आया कोई ऐसा हथियार या रॉकेट था जो अभ्यास के दौरान नही चला। कबाड़ी उसे धातु समझकर तोड़ने की कोशिश कर रहा था जिसकी वजह से उसे और एक बेकसूर को अपनी जान गवानी पड़ी।
इस तरह की घटनाऐं उन शहरों में अक्सर देखने को मिलती हैं जहां बड़े छावनी क्षेत्र और सेना के अभ्यास क्षेत्र हैं। सेना के चांदमारी इलाकों के आस-पास रहने वाले ग़रीब लोग अक्सर पैसे के लालच में सेना अभ्यास में इस्तेमाल हुये गोला-बारुद से निकली धातु को ले जाकर कबाड़ियों को बेच देते हैं। इसी धातु के चक्कर में कई बार ये लोग ज़िंदा बम और रॉकेट भी उठा ले आते हैं। जिसकी वजह से इस तरह के हादसे होते हैं। देश की राजधानी समेत कई बड़े शहरों में ज़िंदा बम और रॉकेट कई लोगों की मौत का सबब साबित हुये हैं।
इस तरह के जानलेवा हादसों के पीछे मुझे सेना की लापरवाही नज़र आती है। नियम के मुताबिक सेना के अभ्यास क्षेत्रों या चांदमारी इलाकों में बाहरी लोगों को प्रवेश वर्जित होता है। इसके लिये सेना की निगरानी चौकियां भी बनी होती हैं। लेकिन उसके बावजूद कैसे लोग सेना क्षेत्र में घुसकर मौत का सामान ले आते हैं ?  ये एक बड़ा सवाल है। अगर सेना अपने अभ्यास क्षेत्रों में चौकसी बरते और अभ्यास क्षेत्र में बिखरे पड़े इस तरह के सामान की जांच कर ले। या उनके निस्तारण के वक्त सावधानी बरते तो इस तरह के हादसे रुक सकते हैं। वरना इसी तरह चंद रुपयों के लालच में लोग अपनी जान के साथ-साथ दूसरे लोगों की जाम भी खतरे में डालते रहेंगे।
-          परवेज़ सागर

Friday, April 5, 2013

Get well soon Deepak ji


एम्स में वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया की हालत में आपरेशन के बाद तेजी से सुधार हो रहा है. उम्मीद की जा रही है कि एम्स के डाक्टर महज़ चार दिन में ही दीपक जी को अस्पताल से छुट्टी दे देंगे। कूल्हे की हड्डी में हेयरलाइन फ्रैक्चर के कारण उन्हें तकरीबन छह सात हफ्ते बेड पर पड़े रहना पड़ सकता है था लेकिन ऑपरेशन के बाद उन अटकलों पर विराम लग गया। गौरतलब है कि दीपक जी इंदौर एयरपोर्ट पर गंभीर रुप से घायल हो गये थे और उन्हे एअर एम्बुलेंस से दिल्ली के एम्स ले जाया गया था। हम सभी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।

Friday, March 22, 2013

कमाल पर हमला शर्मनाक


उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एनडीटीवी के दफ्तर में घुसकर कुछ लोगों ने हमारे साथी और वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान पर आतंकियों से सम्बंध बताते हुये हमला बोल दिया जो कि अपने आप में बड़ी शर्मनाक घटना है। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया है जो अपने आप को हिंदू महासभा का अध्‍यक्ष बता रहा है। आरोपी का नाम कमलेश है जो अपने दर्जनभर साथियों के साथ एनडीटीवी के दफ्तर पहुंचा और गार्ड के रोकने पर भी ऑफिस में घुस गया इससे पहले उसने अपने साथियों के साथ मिलकर गार्ड़ के साथ मारपीट की। बाद में वरिष्ठ पत्रकार कमाल खान से बदसलूकी और हाथा-पाई की। इस मामले में हालाकि कमाल ने पुलिस को शिकायत दर्ज करा दी है। जिसके बाद पुलिस ने मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर चालान  कर दिया। मैं और मेरे सभी पत्रकार साथी इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं। और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस तरह के मामलों में सख्त कदम उठाये जाने की मांग करते हैं। ताकि हम अपना काम निष्पक्ष और निडरता से कर सकें।

Saturday, March 2, 2013

हमेशा ऐसा क्यों नही रहता लाल किला

आगरा में चल रहे ताज महोत्सव में भले ही इस साल कुछ नयापन नही था। लेकिन अभी तक महोत्सव के दौरान हुये दो आयोजन खास रहे। इनमें एक था वड़ाली ब्रदर्स नाईट और दूसरा आगरा किला में आयोजित किया गया शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम जिसमें उस्ताद शाहिद परवेज़ का सितार वादन और 105 साल के पदम् भूषण उस्ताद रशीद खाँ की बंदिशे खास थी। हालाकि हमेशा की तरह विभागीय लापरवाही से इन दोनों कार्यक्रमों में श्रोताओं की संख्या कुछ खास नही थी। लेकिन 25 फरवरी की रात आगरा किले के दिवान-ए-आम में आयोजित शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम में किले का नज़ारा एक दम बदला हुआ नज़र आया। किले के अन्दरुनी हिस्सों को सजाने के लिये लाइट्स का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया। खूबसूरत कैंडिल लाइट्स भी कम नही थी। उस पर उस्ताद शाहिद परवेज़ और उस्ताद रशीद खान के सुरों ने माहौल को खुशनुमा बना दिया। इस नज़ारे को देखने वाले भले ही कम थे लेकिन ये सच में लाजवाब था। यहां कुछ लोगों ने कहा भी कि अगर यहां ऐसा हमेशा किया जाये तो लालकिला आगरा में रात्रि पर्यटन का खास केन्द्र बन सकता है। भले ही ये बात एएसआई और सरकारी महकमों की समझ में ना आये लेकिन ये सच है। यहां कुछ तस्वीरे आप लोगों के लिये डाल रहा हूँ उम्मीद है कि आपको पसंद आयेंगी, वैसे आप भी देखकर बतायें।