भारत के शहरी समाज में आज कई ऐसे रुढीवादी उदहारण देखने को मिलते हैं जो हमें वर्तमान
सामाजिक परिवेश के बारे में नये सिरे से सोचने पर मजबूर कर देते हैं। दो दिन पहले एक
कार्यक्रम में मुझे एक डिग्री कॉलेज की छात्राओं को पत्रकारिता और महिला शिक्षा
जैसे विषय पर सम्बोधित करने का मौका मिला। पिछले कई सालों से लड़कियों और बच्चों
की शिक्षा को लेकर काम कर रहा हूँ तो आदत में आ गया है कि छात्राओं और बच्चों से
अक्सर उनकी परेशानियां भी पूछ लेता हूँ। विषय पर अपनी बात कहने के बाद बी.कॉम
प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने मुझे बताया कि वो शहर के ही एक इलाके में रहती है। जब
वो इंटर कर रही थी तो एक लड़का उसका पीछा करने लगा। वो ऑटो से कॉलेज जाती थी तो वो
लड़का रोज़ाना साइकिल से उसका पीछा करता था। कॉलेज से लौट आने के बाद उसके घर के
चक्कर लगाया करता था। दस दिन बीत जाने पर उस छात्रा ने ये बात अपनी एक सहेली से
कही। सहेली ने उस छात्रा को सलाह दी कि ये बात अपने घर वालों को बता दे। सहेली की
बात मानकर उसने लड़के के बारे में अपने घर वालों को सारी बात बता दी। नतीजा ये हुआ
कि घरवालों ने उस लड़की के कॉलेज जाने पर रोक लगा दी। उसका घर से निकलना, छत पर
जाना और घर के गेट तक पर खड़ा होना तक बंद कर दिया गया। उस छात्रा के परिवार ने पीछा
करने वाले लडके के खिलाफ कुछ करने के बजाय उस छात्रा को ही घर में बंद रहने के
लिये मजबूर कर दिया। बड़ी मुश्किल से दो माह बाद उसे कॉलेज के इम्तिहान की वजह से
घर से बाहर अपने माता-पिता के साथ बाहर जाने की इजाज़त दी गयी। उस छात्रा ने बड़ी
मासूमियत से मुझसे ही सवाल किया कि सर आप बतायें कि क्या मैने अपने घरवालों को उस
लड़के के बारे में बताकर ग़लत किया था? जो मुझे ही उसकी सज़ा मिली। उस छात्रा की बात सुनकर
मैं सोच में पड़ गया कि वाकई अभी भी एक पढ़ा लिखा परिवार अपने घर की बेटी के साथ
ऐसा बर्ताव कैसे कर सकता है। मुछे भी उसकी बात ने सोचने पर मजबूर कर दिया। वाकई इस
मामले में उस लड़की की ना तो कोई ग़लती थी और ना ही उसने अपने घरवालों से कुछ
छिपाया। फिर भी एक अनजान लड़के की हरकत से उस लड़की के दिल में एक घृणा का भाव
पैदा हो गया जो लड़कों को लेकर भी थी और परिवार के प्रति भी। मैने अपने स्तर पर उस
लड़की को बेहतर जवाब देने कि कोशिश की। लेकिन ताजुब्ब होता कि आधुनिकता के इस दौर
में भी घरवाले बेटियों के साथ ही ऐसा क्यों करते हैं? उस लड़की का सवाल ग़लत नही था। हो
सकता है कि अभी भी वो इस तरह की कुछ परेशानियों का सामना करती हो। मैने उसे तो
हौंसला दे दिया लेकिन ऐसी ही कई लड़कियां हमारे समाज में और भी हैं उनका क्या?
- -परवेज़ सागर
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