Tuesday, February 10, 2015

'आप' की जीत के सियासी माएने

परवेज़ सागर
भाजपा का विजयरथ रुक गया. दिल्ली में पहली बार किसी पार्टी ने सभी दलों का सफाया कर दिया. वो भी एक नई पार्टी ने. शाह-मोदी की जोड़ी को हार का कड़वा स्वाद चखना पड़ा. दिल्ली के इस विधानसभा चुनाव ने नया इतिहास रच दिया. बीजेपी ने अपने सारे संसाधनों का इस्तेमाल किया. दिल्ली जैसे छोटे राज्य के चुनाव में शायद ही किसी राजनीतिक पार्टी ने कभी ऐसा किया हो. लेकिन बावजूद इसके बीजेपी हार गई. वो भी बुरी तरह. कांग्रेस का तो नामो-निशान ही मिट गया. अब केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति का एक अहम किरदार बन कर सामने आए हैं.

पूरे देश में मोदी की लहर का फायदा उठाकर बीजेपी ने लगातार जीत हासिल की. लेकिन अति-आत्मविश्वास के कारण बीजेपी को दिल्ली में करारी हार का सामना करना पड़ा. मोदी लहर का खात्मा हो गया. ना दिल्ली का दंगा चला और ना भड़काऊ भाषण. बीजेपी के लिए सब बेकार साबित हुए. राष्ट्रीय परिपेक्ष में देखें तो इस साल के अंत में बिहार विधानसभा के चुनाव हैं. जाहिर तौर पर दिल्ली चुनाव के नतीजों का असर वहां भी होगा. बिहार चुनाव से ठीक पहले मोदी विरोधियों को उनकी आलोचना का एक अच्छा मौका मिल गया. दिल्ली में बीजेपी को इस चुनाव में पड़े मतों का केवल कुल 26.8 फीसदी हिस्सा ही मिला. जबकि आम आदमी पार्टी तकरीबन दिल्ली का 63.1 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब हो गई.

आम आदमी पार्टी की ये जीत बड़ी होने के साथ-साथ अहम भी है. सियासीतौर पर इसे भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. देश में मोदी के खिलाफ सभी राजनीतिक दल एक मंच पर आने की जद्दोजेहद में लगे हैं, उनके लिए ये जीत काम की है. दरअसल लालू, मुलायम और समाजवादी विचारधारा के सभी लोग जनता परिवार के साथ आकर एक मोर्चा बनाने की तैयारी में हैं. मकसद है कि अगले लोकसभा चुनाव तक एक ऐसा मोर्चा तैयार करना जो मोदी का मुकाबला कर सके. ऐसे में दिल्ली को जीत कर जो काम अरविंद केजरीवाल ने किया है वो मायने रखता है. और उस मोर्चे में अहम भूमिका भी निभा सकता है.

अब अरविंद केजरीवाल एक ऐसे बड़े नेता के तौर पर उभर कर सामने आए हैं, जो 2019 के आम चुनाव में सारे विपक्ष के लिए मोदी के खिलाफ एक चेहरा बन सकते हैं. आने वाले वक्त में मोदी विरोधी सारे दल केजरीवाल के पीछे आने की कोशिश कर सकते हैं. लेकिन केजरीवाल और उनकी पार्टी इस पर क्या राय रखती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. फिलहाल सारे मोदी विरोधी केजरीवाल की जीत से खुश नजर आ रहे हैं.