Friday, December 31, 2010

HAPPY NEW YEAR-2011


A Glorious year is waiting for you.

Walk with aims,

Run with confidence

& Fly with achievements.

Wish you & your family a Very

HAPPY NEW YEAR-2011

Saturday, November 20, 2010

पर्यटन के लिये बहुत कुछ है छत्तीसगढ़ में





































छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने हाल ही में राज्य की स्थापना के दस साल पूरे होने के उपलक्ष मे हमें छत्तीसगढ़ भ्रमण के लिये आमन्त्रित किया। मैं और मेरे कुछ पत्रकार साथी चार दिन के लिये छत्तीसगढ़ गये। राजधानी रायपुर के माना एअरपोर्ट से सीधे होटल पंहुचे। उसके बाद मुख्यमंत्री आवास पर डॉ.रमन सिंह से मुलाकात की। पहले दिन तो हम रायपुर मे ही रहे लकिन दूसरे दिन की अलसुबह हम रवाना हुये छत्तीसगढ़ के स्वर्ग यानि बस्तर के लिये। ये वही इलाका है जो सबसे ज़्यादा नक्सल प्रभावित माना जाता है। लगभग 325 किमी. का सफर हमने कार से साढे छः घण्टे मे पूरा किया। रास्ते मे कांकेर और कई अन्य ऐसे कई स्थान थे जो बेहद खूबसूरत थे खासकर दो घाटी जो हमे देहरादून और मसूरी की याद दिला रही थी। शाम को लगभग चार बजे हम तीरथगढ़ पंहुचें जहां का नज़ारा देख हमारी आँखे खुली रह गयी। हमारे सामने था एक शानदार दलप्रपात यानि वॉटरफॉल जिसे देख कर कोई वाह किये बिना नही रह सकता। हमे यहां करीब एक घण्टा रुके और खाना खाने के बाद वहां से चित्रकोट के लिये रवाना हुये। वहां पंहुचते पंहुचते रात हो गयी थी। यहां राज्य के लोक निर्माण विभाग ने शानदार गेस्ट हॉउस बनाया है जिसका निर्माण 2008 मे पूरा हुआ था। रातभर वहां आ रही एक आवाज़ हम सभी को बैचेन कर रही थी लेकिन सुबह जब आँख खुली तो जो नज़ारा कमरे से दिख रहा था वो सचमुच अदभुद था। गेस्टहॉउस के ठीक बगल मे मौजूद था एशिया के चुनिन्दा वॉटरफॉल मे से एक जलप्रपात जो इन्द्रावती नदी पर बना है। इसे देखकर तो हम सभी हैरान थे। आकार मे लगभग 400 मीटर चौड़ा और लगभग 100 मीटर ऊंचा ये वॉटरफॉल किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है। शान्ति से भरे माहौल के बीच सिर्फ इस वॉटरफॉल की आवाज़ सन्नाटे को दूर तक चीर रही थी। लग रहा था कि कुदरत ने अपनी खूबसूरती को यहां बड़े सलीके से सजाया है। समय कम था जिस वजह से हम लोग ज़्यादा जगह नही जा पाये लेकिन दो दिन मे जो छत्तीसगढ़ हमने देखा वो सचमुच काबिले तारीफ है। खासकर बस्तर का इलाका। मुझे ये कहने में कोई हिचक नही है कि अगर नक्सल का नासूर यहां ना हो तो पर्यटन की नज़र से ये इलाका सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी साबित हो सकता है। हर तरफ कुदरत ने अपना कमाल दिखाया है। हम मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह के शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होने ने हमें ये नजारे देखने का मौका दिया। मैं उम्मीद करता हूँ कि मुख्यमंत्री की जो कोशिशें नक्सल के खिलाफ चल रही हैं वो एक दिन ज़रुर कामयाब होगीं और छत्तीसगढ़ पर्यटन के लिहाज़ से देश का एक जाना-माना राज्य बन जायेगा। छत्तीसगढ़ यात्रा की कुछ चुनिन्दा तस्वीरें यहां डाल रहा हूँ उम्मीद है आपको पसन्द आयेगीं।

Friday, October 1, 2010

शुक्रिया सहारनपुर...

सहारनपुर, उत्तर प्रदेश का एक ऐसा ज़िला है जो वुड़ कार्विंग के लिये पूरी दुनिया मे जाना जाता है साथ ही मज़बूत साम्प्रदायिक सौर्हाद और कल्चर के लिये भी ये शहर देशभर मे अपनी अलग पहचान रखता है। इस शहर के पानी मे ही संस्कृति, एकता और तहज़ीब का असर बसा हुआ है। देश मे ऐसे कई लोग हैं जो अपने-अपने क्षेत्रों मे महारत हासिल कर सहारनपुर का नाम रोशन कर रहे हैं। शहर के लोग भी उन्हे इज़्जत देने में पीछे नही हैं। अपने बीच से बाहर जाकर नाम कमाने वाले यहां किसी सैलीब्रिटी से कम नही हैं। शहर मे कई ऐसी संस्थाऐं है जो अपने शहर का नाम रोशन करने वाले लोगों को समय-समय पर सम्मानित करती रही हैं। बात रंगमंच की हो या साहित्य की या फिर पत्रकारिता की, हर क्षेत्र मे काम रहे शहरवासियों को सहारनपुर के अदब पसन्द लोगों ने हमेशा इज़्ज़त बख्शी। साहित्य, उर्दू अदब और सांस्कृतिक क्षेत्र की प्रख्यात संस्था एच.मकबूल मेमोरीयल सोसाइटी और अंजुमन ज़िन्दा दिलाने सहारनपुर ने सामुहिक रुप से बुधवार की शाम स्वामी रामतीर्थ केन्द्र मे एक सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के दौरान एक बार फिर मेरे शहर ने मेरे काम की हौंसला अफज़ाई की और शहर के गणमान्य लोगों की मौजूदगी मे मुझे इस साल के मकबूल मेमोरीयल अवार्ड से सम्मानित किया। मेरे लिये इस अवार्ड़ की अहमीयत साल 2008 मे मुझे दिये गये नेशनल अवार्ड़ से भी ज़्यादा है क्योंकि इस अवार्ड़ मे मेरे शहर की खुश्बु और मेरे शहर का प्यार बसा हुआ है। मैं उन चन्द लोगों मे शामिल हूँ जिन्हे सहारनपुर ने इतना प्यार और इज़्ज़त दी। मैं शुक्रिया करना चाहता हूँ दोनो संस्थाओं का और खासकर मेरे अजीज़ बड़े भाई जनाब शब्बीर शाद और जनाब राव महबूब साहब का जिन्होने मेरा नाम इस अवार्ड़ के लिये चुना। एक बार फिर सहारनपुर की तहज़ीब, अदब और अपने परिवार का शुक्रिया करना चाहूँगा जिसने मुझे इस काबिल बनाया। मैं दुआ करता हूँ कि मुझे मेरे शहर का प्यार हमेशा यूँ ही मिलता रहेगा और सहारनपुर हमेशा मेरी हौंसला अफज़ाई करता रहेगा। आप सभी का शुक्रिया।

Tuesday, August 24, 2010

सीएम रमन सिंह, आड़वाणी और आमिर लाइव...

पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ड़ॉ.रमन सिंह तीन दिन के लिये दिल्ली दौरे पर आये थे। अपने अतिव्यस्त समय के बावजूद आखिर उन्होने भी आमिर खान की फिल्म पीपली लाइव देखने के लिये बीते गुरुवार यानि 19 अगस्त की रात समय निकाल ही लिया और वो भी भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आड़वाणी के साथ। और खुद आमिर खान ने इस मौके को दिल्ली आकर यादगार बना दिया। जी हां इस मौके पर वो खुद पीवीआर पंहुचे और इन खास मेहमानों के साथ फिल्म भी देखी। क्नॉट पैलेस के एक पीवीआर मे इन अतिविशिष्ट दर्शकों के लिये खास इन्तज़ाम किये गये थे। फिल्म का ये शो आम दर्शकों के लिये नही था। सुरक्षा के लिहाज़ से भी कड़े इन्तज़ाम किये गये थे। फिल्म सभी को पसन्द आयी और आती भी क्यों ना भई खुद आमिर जो साथ थे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तो फिल्म देखने के बाद खासे खुश दिखाई दिये। इन सभी खास मेहमानों ने फिल्म की खूब तारीफ की। और सबसे कमाल की बात ये कि किसी भी मीड़िया वाले को इसकी भनक तक नही लगी। फिर भी एक तस्वीर आपके लिये यहां डाल रहा हूँ उम्मीद है आपको पसन्द आयेगी।

Saturday, August 7, 2010

Faith, Trust & Hope

Three Nice Stories-

01. Once, All Villagers decided to pray for rain. On the day of prayer all people gathered and only one boy came with an Umbrella….

THAT’S FAITH


02. Example of the feeling of a one year old baby, when you throws him in air he laughs because he knows you will catch him….

THAT’S TRUST


03. Every night we go to bed, we have no assurance that we would wake up alive the next morning. But still we keep alarm for the next day….

THAT’S HOPE

Means Life is all about these three things. Enjoy your Life.

Tuesday, July 20, 2010

Please reduce long time calls

1 Egg
2 Mobiles
65 minutes of connection between mobiles.
We assembled something as per image.
Initiated the call between the two mobiles and allowed 65 minutes approximately...
During the first 15 minutes nothing happened;
25 minutes later the egg started getting hot;
45 minutes later the egg is hot;
65 minutes later the egg is cooked.
Conclusion: The immediate radiation of the mobiles has the potential to modify the proteins of the egg. Imagine what it can do with the proteins of your brains when you do long calls.
Please try to reduce long time calls on mobile phones and pass this message to all your friends you care for.

Thursday, July 1, 2010

मुद्दा क्या है- नक्सल या कश्मीर ?

हाल ही मे देश के दो राज्यों मे हुये दो बड़े हादसे शायद महंगाई के मुद्दे पर चौतरफा घिरी केन्द्र सरकार के लिये वरदान जैसे लग रहें हैं। कश्मीर मे जहां अलगवादी ताकतों के सर उठाने की बात सामने आयी है वहीं नक्सलियों ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर मे हमला करके सीआरपीएफ के 27 जवानों को मौत की नींद सुला दिया। ये दोनों हादसे ऐसे वक्त पर हुये है जब केन्द्र सरकार महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर विपक्ष के निशाने पर है। देश के कोने कोने मे सरकार के खिलाफ आवाजें उठ रही थी। लेकिन अचानक कश्मीर के सोपोर और छत्तीसगढ़ के नारायणपुर मे हुये हमले ने सरकार और विपक्ष का ध्यान बंटा दिया। मुद्दों की अगर बात करें तो विपक्ष और सरकार के बीच इस पर बयानबाज़ी चलती रहती है। रही बात देश की जनता की तो वो कुछ दिन चिल्लाती है और फिर हमेशा की तरह शान्त होकर महंगाई का बोझ अपने कंधों पर ढोती है।
इस पर भी गज़ब की बात ये है कि देश के गृहमंत्री पी.चिदाम्बरम मीड़िया से रु-ब-रु हुये। उनको ना तो मंहगाई से कोई मतलब था और ना ही छत्तीसगढ़ में शहीद हुये जवानों से। उन्हे तो केवल कश्मीर दिख रहा था। उनका सारा फोकस केवल कश्मीर पर रहा। जब बात छत्तीसगढ़ की बात आयी तो उन्होने घटना की जानकारी देकर इतीश्री कर ली। जबकि सारा घटनाक्रम तो पहले ही मीड़िया और देश की जनता को पता था। जब-जब उनसे नक्सल समस्या के बारे मे सवाल पूछे गये गृहमंत्री जी घूम-फिर कर कश्मीर पर जा पंहुचे। कमाल की बात ये थी कि सारी मीड़िया इस प्रेस वार्ता के लिये इसलिये उत्सुक थी कि शायद छत्तीसगढ़ के नारायणपुर मे हुये नक्सली हमले पर सरकार कुछ संदेश देना चाहती है। लेकिन यहां तो सब उल्टा हो गया। गृहमंत्री ने कश्मीर मे हो रही घटनाओं को हाईलाईट करते हुये सोपोर मे आतंकी संगठन लश्कर के सक्रीय होने की बात कह कर बड़ी ख़बर तो दे दी लेकिन छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले पर उन्होने ये कह दिया कि वो इस बात की जांच कराऐंगे कि क्या कहीं इसमे चूक हुई है। यहां इन सब बातों को कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि इन सबके पीछे कहीं ना कहीं सियासत का रंग दिखाई दे रहा है। कश्मीर में होने वाली कोई भी घटना सरकार के लिये बड़ी होती है। लेकिन छत्तीसगढ़ मे होने वाली घटनाऐं जांच और बैठकों तक ही सीमित क्यों हो जाती हैं? इसका जवाब तो शायद गृहमंत्री के पास भी नही है। छत्तीसगढ़ की जनता और सरकार तो सिर्फ इस समस्या से निजात चाहती है। लेकिन इस वक्त केवल कश्मीर का मामला केन्द्र के लिये ज़्यादा ज़रुरी दिख रहा है क्योंकि सियासीतौर पर नक्सल और महंगाई से बड़ा मद्दा शायद कश्मीर और लश्कर ही है।

Saturday, June 19, 2010

The Whole World is waiting for 21st of June

21st June - the Whole World is waiting for.........
Star Aderoid will be the brightest in the sky, starting 10 June. It will look as large as the sun from naked eye. This will culminate on 21stjune when the star comes within 34.65M miles of the earth. Be sure to watch the sky on june. 21 at 12:30 pm. It will look like the earth has 2 suns.!! The next time Aderoid may come this close is in 2287.

Tuesday, June 15, 2010

यूपी पुलिस- हम नही सुधरेंगें, जय हिन्द

हमारे देश के पर्यटन स्थलों पर लाखों की संख्या मे पर्यटक आते हैं और देश में पर्यटन का सबसे बड़ा केन्द्र होता है आगरा, जहां दुनियाभर के लोग बेपनाह मोहब्बत की अनमोल निशानी ताजमहल का दीदार करते हैं। आगरा शहर को अगर देश में पर्यटन की राजधानी कहा जाये तो कुछ ग़लत नही होगा। क्योंकि हर साल सबसे ज़्यादा पर्यटक इसी शहर में आते हैं।
हमारे देश की रवायत है कि मेहमान भगवान के समान होता है। इसीलिये यहां कहा भी जाता है “अतिथि देवोः भवः”। लेकिन आये दिन पर्यटकों और खासकर विदेशी मेहमानों के साथ कोई ना कोई हादसा होने की ख़बरें आती रहती हैं। आगरा में पर्यटकों के साथ होने वाले हादसों की भी एक लम्बी फेहरिस्त है। इन सब हादसों के पीछे सबसे बड़ा सबब है पुलिस की लापरवाही या फिर कहीये कि पैसे के लालच मे की गयी लापरवाही। शहर मे आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा का जिम्मा शहर की पुलिस का है। लेकिन गाहे बगाहे पुलिस पर भी अंगुलिया उठती रहती हैं। इन दिनों आगरा में पर्यटकों को लेकर आने वाले वाहन पुलिस की अवैध कमाई का ज़रिया बने हुये हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या उन वाहनों की है जिनका रजिस्ट्रेशन दिल्ली या आस-पास के राज्यों का है। आगरा की ट्रेफिक पुलिस हो या सिविल पुलिस जिसे मौका मिलता है वो हाथ साफ कर लेता है। पर्यटकों की सुरक्षा का दम भरने वाली पुलिस के हालात ये हो गये हैं कि उन्हे बाहर से आने वाले वाहन केवल सोने का अण्ड़ा देने वाली मुर्गी नज़र आते हैं। फिर चाहे उसमें कोई भी सवार हो, पर्यटक या फिर आगरावासी। राष्ट्रीय राजमार्ग से शहर मे दाखिल होने वाले चौराहों और रास्तों पर सुबह से ही पुलिस वाले तैनात रहते हैं। वहां लगने वाले जाम से उन्हे कोई मतलब नही लेकिन अगर कोई बाहर का वाहन बिना ‘एन्ट्री’ दिये बिना निकल जाये तो मुश्किल है। वसूली का सबसे बड़ा ठिकाना है सिकन्दरा चौराहा और उसके बाद वॉटरवर्क्स चौराहा। इसके अलावा शहर के प्रतापपुरा चौराहा और फतेहाबाद रोड़ भी पुलिस की अवैध कमाई के बड़े केन्द्र साबित हो रहें हैं। हालात इस कदर खराब हो चुकें हैं कि पुलिस ने बाहर से आने वाले इन वाहनों के लिये पैसे तय कर दिये हैं। इण्ड़िका या फिर किसी भी छोटी गाड़ी के लिये पांच सौ रुपये तय हैं। अगर पैसा नही मिला तो गाड़ी शहर मे नही जा सकती। भले ही उसके काग़ज़ात पूरे हों। पैसे लेकर बाकायदा एक कार्ड़ पर एन्ट्री की जाती है। फिर चाहे वो वाहन आगरा में कहीं भी घूमता रहे। वसूली की इस सारी कवायद के पीछे पुलिस वालों की दलील ये है कि चौराहे पर तैनाती के लिये दरोगा को हर दिन के हज़ारों रुपये ऊपर देने पड़ते हैं। रही सिपाही की बात को उसे अच्छे ‘एन्ट्री’ प्वॉइन्ट पर तैनाती के लिये हर माह एक मोटी रकम देनी पड़ती है। अब जब ऊपर तक इतना जाता है तो कुछ कमाने के लिये भी तो होना चाहिये। बस इसी फीक्र मे बेचारे पुलिस वाले धूप हो या छांव, आंधी या तूफान हर हाल मे कमाई का साधन ढूड़ते रहते हैं। पुलिस और वाहन चालकों या स्वामियों के बीच कई बार बात गाली गलौच से बढ़कर हाथापाई तक पंहुच जाती है। लेकिन कुछ दिन दिखावे के लिये सबकुछ ठीक रहता है पर फिर वही वसूली कार्यक्रम शुरु हो जाता है।
सबसे अहम बात ये है कि सारी कहानी पुलिस के आलाधिकारियों को पता होती है। लेकिन वो इन मामलों पर चुप्पी साधे रहते हैं। वजह है कि इस कमाई का एक हिस्सा ऊपर वालों को भी तो जाता है इसलिये लाख शिकायत करने के बावजूद किसी पुलिस वाले के खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती। आला अधिकारियों से जब इस बारे मे बात की जाती है तो वो अनजान बन जाते हैं। उन्हे तो पता ही नही होता कि किस चौराहे पर क्या हो रहा है। बस अपने कारिन्दो को देखने की बात दोहराते हैं। एक रोना सरकार का रोया जाता है कि सरकार के कामों से अधिकारियों को फुरसत कहां कि वो देख सकें कि किस चौराहे पर क्या हो रहा है।
इस पूरे मामले के दौरान सबसे बुरा असर पड़ता है गाड़ी मे बैठे पर्यटक पर जो ये सारा माजरा समझ नही पाता। कई बार पुलिसवाले पर्यटकों के सामने ही वाहन चालक से वसूली के लिये मार पिटाई शुरु कर देतें हैं। जिसे देखकर पर्यटक सहम जाते हैं और खासकर विदेशी पर्यटक तो हैरान रह जाते हैं कि यहां कि पुलिस किस तरह से किसी बेगुनाह को पैसे के लिये मारने पीटने पर आ जाती है। उनकी नज़रों मे पूरे भारत को लेकर सजाया गया ख्वाब और यहां की सभ्यता को लेकर सुनी कहानियां पल मे झूठी हो जाती हैं। बहरहाल केन्द्र और राज्य सरकार दुनियाभर के पर्यटकों की आमद का इन्तज़ार कर रही है। कॉमन वेल्थ गेम्स सर पर हैं। लाखों पर्यटकों के भारत आने की उम्मीद भी है। ऐसे में दिल्ली के बाद पर्यटकों की सबसे ज़्यादा आमद आगरा में होगी। लेकिन अवैध वसूली में नम्बर वन का खिताब पा चुकी आगरा पुलिस पर्यटकों की हिफाजत का ख्याल रखेगी या फिर अपनी जेब का, ये सवाल अब सामने खड़ा दिखाई दे रहा है ?

Monday, May 24, 2010

गर्मी का कहर.....

गर्मी का रोज़-ओ-शब की क्यूंकर करूं बयां,

डर है कि मिस्ल-ए-शम्मा ना जलने लगे ज़ुबां,


ये लू के अलहज़र ये हरारत के आलामां,


यूं कि ज़मीं तो सुर्ख है और ज़र्द आसमां....

Sunday, March 7, 2010

इलैक्ट्रॉनिक कचरा बन रहा है बड़ा खतरा

संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप कंप्यूटर जैसी इलैक्ट्रॉनिक चीज़ें जब इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाती हैं तो उनसे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए भारी ख़तरा पैदा हो रहा है।
यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम ने तैयार की है जिसमें ऐसे नए नियम और क़ानून बनाने का आहवान किया गया है जो ये सुनिश्चित करें कि इस तरह का इलैक्ट्रॉनिक कूड़ा-कचरना फेंकने के लिए कड़े मानदंड अपनाए जाएँ। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल की इंडोनेशिया के बाली में सोमवार को शुरू हो रही एक बैठक के अवसर पर जारी की गई है। विश्लेषकों का कहना है कि इलैक्ट्रॉनिक दुनिया में इतनी तेज़ी से हो रही प्रगति और बदलावों के फ़ायदों के अलावा नुक़सान वाला पक्ष भी है, ख़ासतौर से विकासशील देशों में इलैक्ट्रॉनिक कूड़े-कचरे ने पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के लिए भारी ख़तरा पैदा कर दिया है। मुश्किल ये है कि जिस रफ़्तार से टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन और कंप्यूटर ख़रीदे जाते हैं उसी रफ़्तार से पुरानी इलैक्ट्रॉनिक चीज़ों को सुरक्षित तरीक़े से फेंकने के प्रयास नहीं किए जाते हैं। इन चीज़ों की बिक्री हाल के समय में बहुत तेज़ी से बढ़ी है। इसके उलट विकसित देशों में इन चीज़ों को इस्तेमाल के बाद ख़राब होने पर फेंकने का एक सुरक्षित तरीका अपनाया जाता है जिसे री-साइकलिंग कहा जाता है जबकि विकासशील देशों में इसके लिए कुछ ख़ास चिंता नज़र नहीं आती है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम में अनुमान लगाया गया है कि इलैक्ट्रॉनिक कूड़ा-कचरा दुनिया भर में प्रतिवर्ष चार करोड़ टन की रफ़्तार से बढ़ रहा है, ख़ासतौर से भारत और चीन जैसे देशों में इस तरह का कूड़ा-कचरा अगले दस वर्षों में 500 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।
इलैक्ट्रॉनिक चीज़ों में धातु और कुछ इस तरह के तत्व होते हैं जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद ख़तरनाक होते हैं इसलिए इन वस्तुओं को सुरक्षित तरीके से फेंकने की व्यवस्था यानी री-साइकलिंग एक जटिल और महंगा काम है। लेकिन बहुत से देशों में इलैक्ट्रॉनिक चीज़ों को इस्तेमाल के बाद उनसे होने वाले नुक़सान की परवाह किए बिना ही सामान्य कूड़े-कचरे में ही फेंक दिया जाता है और ऐसे देशों में चीन भी शामिल है। इलैक्ट्रॉनिक कूड़े-कचरे में से इस तरह की किरणें निकलती हैं जो हवा में जाती हैं जिससे पर्यावरण को नुक़सान पहुँचता है। जबकि हम जानते हैं कि चीन दुनिया भर में इलैक्ट्रॉनिक सामान तैयार करने वाला एक बड़ा देश है जिसका इलैक्ट्रॉनिक सामान यूरोप और अमरीका के बाज़ारों में भरा पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि इलैक्ट्रॉनिक कूड़े-कचरे को फेंकने और सुरक्षित तरीक़े से उसे फिर से इस्तेमाल करने के लिए तुरंत ठोस क़दम उठाने होंगे नहीं तो बहुत से देशों में इस कचरे के पहाड़ खड़े हो जाएंगे जिससे ना सिर्फ़ पर्यावरण को नुक़सान होगा बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी भारी ख़तरा पैदा हो जाएगा। रिपोर्ट में आहवान किया गया है कि इलैक्ट्रॉनिक सामान को फेंकने और उसे ठिकाने लगाने यानी री-साइकिलिंग के लिए ठोस नियम और क़ानून तुरंत बनाए जाएँ। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र ने यह भी स्वीकार किया है कि ऐसे नियमों का नतीजा महंगा साबित हो सकता है मगर उनसे नई नौकरियाँ मिलेंगी, सोना और चाँदी जैसे महंगे धातु इकट्ठे होंगे जो इलैक्ट्रानिक चीज़ों में इस्तेमाल होते हैं और एक साफ़-सुथरा पर्यावरण क़ायम रखने में मदद तो मिलेगी जिससे लोगों के स्वास्थ्य को भी कम ख़तरा पैदा होगा। (बीबीसीहिन्दी.कॉम)

Friday, January 15, 2010

सैय्यद राजू की उपलब्धि...

ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया की प्रेम कहानी पर लिखी ब्रिटिश लेखिका शरबनी बसु की चर्चित किताब "विक्टोरिया एण्ड अब्दुल" मे आगरा के वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद राजू ने सहयोग किया है। इस सहयोग के लिये शरबनी ने किताब की भूमिका मे उनके नाम का ज़िक्र भी किया है। इस किताब को लन्दन मे लॉन्च किये जाने के बाद भारत मे भी उतारा गया है। इस किताब मे महारानी विक्टोरिया और अब्दुल करीम के प्रेम की वो अनछुई दास्तान है जो अब तक दुनिया से छिपी रही। इस किताब मे करीम का आगरा से सम्बन्ध और उनकी निशानियों का उल्लेख किया गया है। आगरा के वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद राजू ने इस किताब में करीम से जुडे पहुलओं को जुटाया है। साथ यहां से सारी तस्वीरे भी शरबनी को मुहैय्या कराई हैं। इस काम के लिये सैय्यद राजू को 11 जनवरी को ब्रिटिश दूतावास मे आयोजित एक कार्यक्रम मे सम्मानित भी किया