Monday, May 24, 2010

गर्मी का कहर.....

गर्मी का रोज़-ओ-शब की क्यूंकर करूं बयां,

डर है कि मिस्ल-ए-शम्मा ना जलने लगे ज़ुबां,


ये लू के अलहज़र ये हरारत के आलामां,


यूं कि ज़मीं तो सुर्ख है और ज़र्द आसमां....

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