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हमेशा ऐसा क्यों नही रहता लाल किला
आगरा में चल रहे ताज महोत्सव में भले ही इस साल कुछ नयापन नही था। लेकिन अभी तक महोत्सव के दौरान हुये दो आयोजन खास रहे। इनमें एक था वड़ाली ब्रदर्स नाईट और दूसरा आगरा किला में आयोजित किया गया शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम जिसमें उस्ताद शाहिद परवेज़ का सितार वादन और 105 साल के पदम् भूषण उस्ताद रशीद खाँ की बंदिशे खास थी। हालाकि हमेशा की तरह विभागीय लापरवाही से इन दोनों कार्यक्रमों में श्रोताओं की संख्या कुछ खास नही थी। लेकिन 25 फरवरी की रात आगरा किले के दिवान-ए-आम में आयोजित शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम में किले का नज़ारा एक दम बदला हुआ नज़र आया। किले के अन्दरुनी हिस्सों को सजाने के लिये लाइट्स का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया। खूबसूरत कैंडिल लाइट्स भी कम नही थी। उस पर उस्ताद शाहिद परवेज़ और उस्ताद रशीद खान के सुरों ने माहौल को खुशनुमा बना दिया। इस नज़ारे को देखने वाले भले ही कम थे लेकिन ये सच में लाजवाब था। यहां कुछ लोगों ने कहा भी कि अगर यहां ऐसा हमेशा किया जाये तो लालकिला आगरा में रात्रि पर्यटन का खास केन्द्र बन सकता है। भले ही ये बात एएसआई और सरकारी महकमों की समझ में ना आये लेकिन ये सच है। यहां कुछ तस्वीरे आप लोगों के लिये डाल रहा हूँ उम्मीद है कि आपको पसंद आयेंगी, वैसे आप भी देखकर बतायें।

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