यूपी के युवा और काबिल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रात-दिन एक करके सरकार और पार्टी की छवि बेहतर बनाने के लिये काम कर रहे हैं। उसके बावजूद सरकार और पार्टी में ही कई लोग ऐसे हैं जिनकी वजह से प्रदेश में लगातार कानून व्यवस्था का संकट बना हुआ है। ऊपर से प्रदेश की खाकी यानि उत्तर प्रदेश पुलिस भी सरकार की छवि खराब करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है। इसका ताज़ा उदहारण मंगलवार को आगरा में देखने को मिला।
वाक्या दोपहर का है, आये दिन की तरह एनएच-2 के वाटर वर्क्स चौराहे से लेकर सुल्तानगंज की पुलिया तक लम्बा जाम लगा हुआ था। लेकिन वाटर वर्क्स चौराहे पर तैनात यातायात पुलिस के दरोगा आरसी यादव अपने एक चहेते होमगार्ड खान के साथ वसूली में लगे हुये थे। जाम की वजह से लोग गर्मी में बिलख रहे थे लेकिन इन्होने जाम खुलवाने के बजाय अपना ज़रुरी काम जारी रखा। इसी बीच जाम में फंसे पी7 न्यूज़ चैनल के स्टॉफ रिर्पोटर यशपाल सिंह किसी तरह से पुलिस बूथ के पास तक पंहुचे। जैसे ही उन्होने अपनी मोटरसाइकिल वहां रोकी तो दरोगा यादव के कहने पर होमगार्ड़ खान ने बिना कुछ कहे सुने उनकी बाइक की चाबी निकाल ली। यशपाल वहां उन्हे जाम के बारे में बताने गये थे उल्टा दरोगा जी ने परिचय देने के बावजूद उनके साथ अभद्रता शुरु कर दी यही नही उन्होने पत्रकार यशपाल को पीटना शुरु कर दिया। इसी दौरान यशपाल ने किसी तरह से अन्य पत्रकारों को फोन कर दिया। इस बात से दरोगा और आग बबूला हो गया और गाली गलौच करते हुये यशपाल को मारने के लिये डंडा ले आया। तभी शहर के तीन-चार पत्रकार वहां पंहुच गये और यशपाल को वहां से बचाकर पूरे मामले की जानकारी एसएसपी सुभाष चंद दुबे को दी। मामले को गंभीरता से लेते हुये एसएसपी ने आरोपी दरोगा को निलम्बित तो कर दिया लेकिन उसके खिलाफ पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज ना करके सिर्फ एनसीआर दर्ज कर खाना-पूर्ति कर दी। मामले से आगरा के पत्रकारों में खासा रोष है। लेकिन एसएसपी के आश्वासन पर यशपाल ने फिलहाल कोई कदम ना उठाने का निर्णय लिया है।
इस घटना के विरोध में मैने खुद भी पुलिस के आला अधिकारियों से बात की है। लेकिन आये दिन इस तरह की घटनाऐं उत्तर प्रदेश में आम हो रही हैं। जिनकी वजह से पत्रकार प्रदेश में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के दावे और सरकार के वादे केवल बेमानी नज़र आ रहे हैं। अगर जल्द ही ऐसी घटनाओं पर रोक नही लगी तो इसका परिणाम लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। मैं और मेरे सभी पत्रकार साथी इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं।
-परवेज़ सागर
वाक्या दोपहर का है, आये दिन की तरह एनएच-2 के वाटर वर्क्स चौराहे से लेकर सुल्तानगंज की पुलिया तक लम्बा जाम लगा हुआ था। लेकिन वाटर वर्क्स चौराहे पर तैनात यातायात पुलिस के दरोगा आरसी यादव अपने एक चहेते होमगार्ड खान के साथ वसूली में लगे हुये थे। जाम की वजह से लोग गर्मी में बिलख रहे थे लेकिन इन्होने जाम खुलवाने के बजाय अपना ज़रुरी काम जारी रखा। इसी बीच जाम में फंसे पी7 न्यूज़ चैनल के स्टॉफ रिर्पोटर यशपाल सिंह किसी तरह से पुलिस बूथ के पास तक पंहुचे। जैसे ही उन्होने अपनी मोटरसाइकिल वहां रोकी तो दरोगा यादव के कहने पर होमगार्ड़ खान ने बिना कुछ कहे सुने उनकी बाइक की चाबी निकाल ली। यशपाल वहां उन्हे जाम के बारे में बताने गये थे उल्टा दरोगा जी ने परिचय देने के बावजूद उनके साथ अभद्रता शुरु कर दी यही नही उन्होने पत्रकार यशपाल को पीटना शुरु कर दिया। इसी दौरान यशपाल ने किसी तरह से अन्य पत्रकारों को फोन कर दिया। इस बात से दरोगा और आग बबूला हो गया और गाली गलौच करते हुये यशपाल को मारने के लिये डंडा ले आया। तभी शहर के तीन-चार पत्रकार वहां पंहुच गये और यशपाल को वहां से बचाकर पूरे मामले की जानकारी एसएसपी सुभाष चंद दुबे को दी। मामले को गंभीरता से लेते हुये एसएसपी ने आरोपी दरोगा को निलम्बित तो कर दिया लेकिन उसके खिलाफ पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज ना करके सिर्फ एनसीआर दर्ज कर खाना-पूर्ति कर दी। मामले से आगरा के पत्रकारों में खासा रोष है। लेकिन एसएसपी के आश्वासन पर यशपाल ने फिलहाल कोई कदम ना उठाने का निर्णय लिया है।
इस घटना के विरोध में मैने खुद भी पुलिस के आला अधिकारियों से बात की है। लेकिन आये दिन इस तरह की घटनाऐं उत्तर प्रदेश में आम हो रही हैं। जिनकी वजह से पत्रकार प्रदेश में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री के दावे और सरकार के वादे केवल बेमानी नज़र आ रहे हैं। अगर जल्द ही ऐसी घटनाओं पर रोक नही लगी तो इसका परिणाम लोकसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है। मैं और मेरे सभी पत्रकार साथी इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं।
-परवेज़ सागर
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