Tuesday, December 16, 2014

क्या पाकिस्तान समझता है आतंकी हमले का दर्द

अभी दुनिया भर के लोगों के बीच सिडनी और बेल्जियम के हमलों की चर्चा थमी भी नहीं थी कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की सरजमी पर मंगलवार के दिन अमंगल हो गया. खैबर पख्तूनख्वा राज्य के पेशावर शहर में आत्मघाती हमले के दौरान मासूम बच्चों समेत 100 से अधि‍क लोगों की जान चली गई. जबकि चालीस से ज्यादा लोगों के घायल हो जाने की भी खबर है. आतंकियों ने इस हमले के लिए शहर के आर्मी पब्लिक स्कूल को अपना निशाना बनाया. यह स्कूल पेशावर के वारसाक रोड पर स्थित है. हमले के वक्त स्कूल में करीब 1500 बच्चे मौजूद थे. आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान ने घटना की जिम्मेदारी ले ली है.
पाकिस्तान में इस तरह का हमला पहली बार नही है. वहां कई बार इस तरह के आतंकी हमले पहले भी होते रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान पर इन हमलों से कोई फर्क पड़ता है? भारत में आतंकी हमलों की साजिश रचने और उन्हे अंजाम तक पंहुचाने वालों को क्या इस तरह के हमलों से कोई सबक मिलता है. ना जाने क्यों लगता है कि पाक के आला अफसर या वहां बैठकर हमारे मुल्क के खिलाफ साजिश रचने वालों को शायद ही उस दर्द की शिद्दत का एहसास होता हो जिसे हमने कई बार महसूस किया है. इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि हम चाहते हैं कि वहां इस तरह के हमले हों. भारत ने हमेशा इस तरह के आतंकी हमलों की निंदा की है जो दुनिया के किसी भी कोने में हुए हो. इस पूरे साल पाकिस्तान ने खुद कई आतंकी हमलों की मार झेली है. इन हमलों में कई पाक नागरिकों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ा.
अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना और उन्हे संरक्षण देने वाली वहां की सरकार अपनी हरकतों से बाज नहीं आती. आए दिन भारत में इस तरह के मामलों का खुलासा होता रहता है जिनसे पाक के मनसूबों का पर्दाफाश होता है. हाल ही में चाहे सीमा पर घुसपैठ हो या फिर युद्धविराम का उल्लंघन, पाक की ये नापाक हरकतें लगातार जारी हैं.
हमारे देश के खिलाफ आतंक की फौज तैयार करने वाला पाकिस्तान अंदरुनी तौर पर खुद इतना कमजोर हो गया है कि उसके कई राज्यों में तालिबान और अल-कायदा जैसे बड़े आतंकी संगठन अपनी पैठ बना चुके हैं. बावजूद उसके पाकिस्तान के हुक्मरान अपनी परेशानियों को दरकिनार कर हमारे देश में आतंक फैलाने की फिराक में लगे रहते हैं. दरअसल ये खुद पाकिस्तान के बोए हुए बीज हैं जो अब दरख्त बनकर उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. कहना गलत नहीं होगा कि जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वो भी एक दिन उसी गड्ढे में गिरता है.
पाकिस्तान के मौजू हालात पर मशहूर शायर सरदार अनवर का एक शेर हकीकत नजर आता है-
'ये जो इनका हाल है खुद इनकी हरकतों से है, दुआ किसी की नहीं बद्दुआ किसी की नहीं'

http://aajtak.intoday.in/story/opinion-peshawar-army-school-attack-is-a-new-lesson-for-pakistan--1-791793.html

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