हमारे देश की सर्वोच्च अदालत भले ही ये कहती हो कि बलात्कार और यौन हिंसा जैसे
संगीन मामले के आरोपी को तुरन्त गिरफ्तार किया जाना चाहिये लेकिन आसाराम की
गिरफ्तारी में की जा रही सरकारी लापरवाही ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हमारे
देश का कानून वाकई दो तरह से काम करता है। इसका आचरण आम आदमी के लिये अलग है और
खास आदमी के लिये अलग.... अगर ऐसा ना होता तो बलात्कार और यौन हमले का आरोपी बाबा
सलाखों के पीछे होता। यहां तो कानून के रखवालों ने ही उस बाबा को छिप जाने का मौका
दे दिया।
हमारे देश के दो प्रमुख हिन्दी समाचार चैनल अमेरिका के एक शहर की ख़बर दिखा रहे थे। ख़बर ये थी कि अमेरिका के एक स्टेट हाइवे पर दर्जनों भैंसों के आ जाने से वहां का ट्रेफिक करीब आधा घंटा रुका रहा। कमाल तो ये है कि हमारे देश का शायद ही कोई ऐसा नेशनल हाइवे या स्टेट हाइवे हो जिस पर रोज़ाना भैंस या अन्य जानवर ना मिलते हो। यही नही उनकी वजह से आये दिन कई सड़क दुर्घटनाऐं भी होती रहती हैं। लेकिन इस तरह के समाचार हमारे नेशनल न्यूज़ चैनल्स पर यदा-कदा दिखाई देते हैं। आगरा में विश्व धरोहर स्मारक ताजमहल के पूर्वी गेट के सामने से तो सुबह शाम सैंकड़ों भैंसे निकलती हैं और विदेशी पर्यटक जमकर उनकी तस्वीरें लेते हैं और ये मंज़र देख कर हैरान होते हैं लेकिन अस बात की सुध किसी को नही है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेकर ताज महल के आस-पास से तबेले हटवाये और ताजमहल के पीछे यमुना में भैंसों के नहाने पर रोक भी लगाई लेकिन उसके बावजूद ये सिलसिला आज तक जारी है। आगरा ज़िला प्रशासन की लापरवाही से विदेशी पर्यटकों के सामने शहर की छवि तो बिगड़ती ही है साथ ही कई बार यहां हादसे भी हो जाते हैं। लेकिन हमारे न्यूज़ चैनल्स ऐसी ख़बरों पर ध्यान नही देते।