
WISH
YOU
MERRY
CHRISTMAS
National Media Excellence Award Winner-2008
मौहब्बत का शहर का आगरा आज दिन भर दहला रहा। बढती महंगाई के विरोध को लेकर शहर मे जो चिन्गारी दो दिन पहले भड़की थी। आज वो शोला बन गयी। शुरुआत शहर के जीवनी मण्डी चौराहे से हुई जहां स्थानीय लोगों महंगाई का विरोध जताने के लिये सड़को पर उतर आये। जाम लगा दिया गया। पुलिस ने समझाने की कोशिश की तो भीड़ ने उग्र होकर पथराव शुरु कर दिया। वाहनों मे आग लगा दी गयी। पुलिस को मजबूर होकर फायरिंग करनी पड़ी। भगदड़ और फायरिंग मे दर्जनों लोग जख्मी हो गये। दूसरी तरफ खन्दारी चौराहे पर हाइवे को महिलाओं ने जाम कर दिया। उनका हौंसला बढाने के लिये भाजपा के कार्यकर्ता भी आ गये। यहां भी हालात बेकाबू होते देख पुलिस को लॉठीचार्ज करना पड़ा। दोनों जगह घण्टो तनाव की स्थिति बनी रही। भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। लेकिन एक सवाल मेरे सामने है कि क्या ये विरोध यहीं खत्म हो जायेगा? मुझे लगता है कि ये शुरुआत है आज आगरा है तो कल दिल्ली के लोग भी महंगाई का विरोध करने को सड़कों पर आ सकते हैं... और परसों लखनऊ के। इसके पीछे बढती कीमतों पर सरकार का नियंत्रण खोना ही सबसे बड़ी वजह मुझे नजर आती है। विरोध करने वालों को तो गोली और लॉठी से रोका जा सकता है लेकिन उनके विचारों को मार पाना किसी सरकार के बस मे नही है। महंगाई का विरोध भी एक विचार बन गया है। और ये फैल रहा है जब लोग आगरा मे हुये बवाल की ख़बर देख या पढ रहें होगें तो ये विचार खुद-ब-खुद उनके मन मे आ सकता है। कहने का मतलब है कि ताकत का इस्तेमाल कर विरोध या लोगों को रोका जा सकता है। लेकिन परेशानी से उबरे मानसिक विरोध और विचार को रोकने का तरीका केवल एक है वो है कीमतों पर काबू पाना। कितनी मज़ाकिया बात लगती है रोज़ ये ख़बर पढना की महंगाई की दर कम हो रही है लेकिन हकीकत बिल्कुल उसके उलट है। दाल, सब्ज़ी और घरेलू ज़रुरत के सामान के दाम आसमान छू रहे हैं कीमते आम आदमी की हद से बाहर हो रही है। तो लोग क्या करें? किस से कहें? कहीं सुनवाई नही होती तो नतीजा ऐसे हिंसक विरोध के रुप मे सामने आता है। ज़रुरत इस बात की है कि सरकार इस बात पर ध्यान दे और महंगाई को कम करने की दवा ढूंढे। नही तो ये आग आगरा ही पूरे देश मे फैल जायेगी।
इंटरनेट की नियामक संस्था आईसीएएनएन के मुताबिक इंटरनेट अपने अस्तित्व के बाद के सबसे बड़े बदलाव के कगार पर है। चालीस वर्ष पहले इंटरनेट अस्तित्व में आया था और अब पहली बार इंटरनेट पर टाइप किए जाने वाले पते या वेब एड्रेस के अक्षर लैटिन से अलग लिपि में होंगे। यह प्रस्ताव 2008 में स्वीकार किया गया था जिसके तहत डोमेन नाम इत्यादि एशियाई, अरबी और अन्य लिपियों में भी रखे जा सकेंगे।
बेपनाह मौहब्बत की अनमोल निशानी ताजमहल की वजह से आगरा शहर पूरी दुनिया मे जाना जाता है। ताजमहल की खूबसूरती इस शहर के लिये वरदान है। लेकिन आगरा मे एक ओर चीज़ है जिसकी मिठास यहां आने वालों को लबरेज़ कर देती है, वो है यहां का पेठा। यूँ तो पेठा महाराष्ट्र, चैन्नई और राजस्थान के कई शहरों मे भी बनता है। लेकिन आगरा का पेठा भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में अपने स्वाद के लिये जाना जाता है। आगरा मे बनने वाले पेठे की इतनी किस्में है कि खाने वाले के लिये ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सा पेठा लिया जाये।
The 797th urs (Death Anniversary) of Hazrat Khwaja Moinuddin Hasan Chishty (R.A) known as Gharib Nawaz (R.A) will be held from 1st to 6th RAZAB corresponding to :- 25th to 30th of june 2009 (depending upon the visibility of Moon). Inspired by the spiritual command of the PROPHET MOHAMMAD (S.A.W), Huzoor Khwaja Gharib Nawaz (R.A) became the harbinger of peace and prosperity not only in India but in the whole world and people use to attend the shrine of Gharib Nawaz (R.A) with their heartfelt desire and cherished wishes and return used to go brimful with fruition of their inner aspiration.
बेपनाह मौहब्बत की निशानी ताजमहल का हुस्न फीका पड़ता जा रहा है। पिछले कई सालों से इतिहासकार और विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिन्ता जता रहे हैं कि ताजमहल की सफेद रंगत को प्रदूषण से भारी नुकसान हो रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह वायु प्रदूषण है। भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमैटी ने भी इस बात पर चिन्ता ज़ाहिर की है लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेषण (एएसआई) और आगरा का जिला प्रशासन इस तरफ से आंखे बन्द किये बैठा है। रही बात आगरा विकास प्राधिकरण की तो उनके लिये ताजमहल सिर्फ सोने के अण्डे देने वाली मुर्गी है। प्राधिकरण को पथकर के नाम पर होने वाली कमाई से मतलब है ताज के संरक्षण से नही।
This is Serious! This incident happened recently in North Texas . A woman went boating one Sunday taking with her some cans of coke which she put into the refrigerator of the boat. On Monday she was taken to the hospital and placed in the Intensive Care Unit. She died on Wednesday. The autopsy concluded she died of Leptospirosis.. This was traced to the can of coke she drank from, not using a glass. Tests showed that the can was infected by dried rat urine and hence the disease Leptospirosis. Rat urine contains toxic and deathly substances..... It is highly recommended to thoroughly wash the upper part of all soda cans before drinking out of them. The cans are typically stocked in warehouses and transported straight to the shops without being cleaned.. A study at NYCU showed that the tops of all soda cans are more contaminated than public toilets (i.e).. full of germs and bacteria. So wash them with water before putting them to the mouth to avoid any kind of fatal accident.
"स्ट्रीगंर" आम आदमी के लिये ये नया या अन्जान शब्द हो सकता है। लेकिन पत्रकारिता से वास्ता रखने वालों के लिये ये शब्द आम है। पत्रकारिता के 13 सालों के दौरान मैं भी दो बार स्ट्रीगंर रहा। लेकिन उस वक्त और आज मे बड़ा फर्क आ गया है। पत्रकारिता की आधुनिकता के इस दौर मे स्ट्रीगंर के मायने बदलते जा रहे हैं। जो लोग इसके बारे मे नही जानते उन्हें बताना ज़रुरी हो जाता है कि आजकल पत्रकारिता की दुनिया मे स्ट्रीगंर ख़बर पाने का एक सस्ता सुलभ ज़रिया है। इसलिये अब हर शहर मे हर चैनल का स्ट्रीगंर मौजूद है। देश के कई न्यूज़ चैनल तो स्ट्रीगंरर्स की बदौलत ही चल रहे हैं। किसी भी शहर मे कोई घटना हो तो तुरन्त स्ट्रीगंर उसे अपने हैंडीकैम से कवर करके न्यूज़ चैनल को भेज देता है। स्ट्रीगंर मतलब वो पत्रकार जिसका चैनल या कम्पनी से सीधे कोई ताल्लुक नही होता बस ख़बर दो उसके बदले पैसा लो, जितनी ख़बरें उतना पैसा। पहले इन्हे माइक आईड़ी तक नसीब नही होती थी। पर अब लगभग सभी चैनल अपने स्ट्रीगंर को माइक आईड़ी देने लगे हैं और उनके साथ सालभर का एग्रीमेन्ट भी किया जाने लगा है।
हाल ही में पाकिस्तान से एक वरिष्ठ पत्रकार जनाब वुसतुल्लाह ख़ान भारत की यात्रा पर आये और उन्होने अपनी यात्रा के दो दिन यूपी के (सहारनपुर) कस्बा देवबन्द मे बिताये। उनका अनुभव यहां कैसा रहा उन्होने लौट जाने के बाद उसे शब्दों की शक्ल दी। उनका लेख बीबीसी के पोर्टल पर प्रकाशित हुआ। पढकर अच्छा लगा इसलिये आपके लिये यहां पोस्ट कर रहा हूँ। उम्मीद है आपको भी पसन्द आयेगा वुसतुल्लाह ख़ान साहब का ये लेख:-
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