जी में आता है ये मुर्दा चांद तारे नोच लूं,
इस किनारे नोच लूं और उस किनारे नोच लूं।
एक दो का ज़िक्र क्या सारे के सारे नोच लूं,
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूं ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूं....
National Media Excellence Award Winner-2008
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1 comment:
very nice...
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