Friday, May 20, 2011

चापलूसी हुनर जयते...

-परवेज़ सागर-

हमारे यहां चापलूसी एक बड़े काम की चीज़ है। खासकर राजनीति में चापलूसी का बड़ा महत्व है। चापलूसी का मंत्र जिसने भी पा लिया वो धन्य हो गया। उसके लिये तरक्की के सारे रास्ते खुल जाते हैं। ऐसे कई राजनेता हैं जो चापलूसी ज्ञान पाकर ही सफलता के रास्ते पर आये। दरअसल चापलूसी कराना एक अलग बात है लेकिन चापलूसी करना एक हुनर है।

चापलूसी का हुनर जिन लोगों के पास होता है वो बड़े कामयाब होतें हैं। चापलूसी के चलते लोग किसी को भी अर्श तक पंहुचा सकते हैं। हमारे देश मे तो चापलूसी मंत्र के बिना सियासत और नौकरशाही में पकड़ बना पाना मुश्किल ही नही नामुमकिन है। राजधानी दिल्ली के सियासी गलियारों में तो चापलूसी के सहारे ही सत्ता का गुरुमंत्र मिल सकता है। सियासत में एक से एक बड़े चापलूस हैं जिनकी दुकान उनके हुनर से ही चल रही है। पार्टी चाहे कोई भी हो इस हुनर के माहिर लोग सब जगह पर हैं। यही वो लोग हैं जो बिना किसी कुर्सी के नेताओं को राजा भी बना दें तो कम नही। जितना बड़ा हुनर उतनी बड़ी कामयाबी।

24 अकबर रोड़ हो या फिर 11 अशोक रोड़ सभी जगहों पर ऐसे हुनरबाज़ लोग आपको टहलते हुये मिल जाते हैं। उनके हुनर का असर ही होता है कि नेता जी के आते ही कमरे मे कोई जाये ना जाये लेकिन चापलूस हुनर बाज़ सबसे पहले कमरे में दाखिल हो जाते हैं। बाहर खड़े आम लोग उनके इस हुनर को देखकर दंग रह जाते हैं और यही नही आम लोगों की नज़र में उनकी अहमियत भी बढ़ जाती है। इस रौब रुतबे को देखकर लोग चापलूस जी के झांसे मे फंसने को तैयार हो जाते है यहां तक कि कई बड़े काम चुटकी मे करा डालने के वादे भी वहीं हो जाते हैं।

चुनाव के दौर मे अक्सर ऐसे लोगों की ड़ीमांड बहुत बढ़ जाती है। चुनाव चाहे लोकसभा के हों या फिर विधान सभा के टिकट पाने की होड़ तो नेताओं मे लगी ही रहती है। क्षेत्रीय नेताओं को अपने राष्ट्रीय नेताओं से सीधी बात करने का मौका तो कम ही मिल पाता है। चुनाव मे बड़े नेता मसरुफ भी ज़्यादा रहते हैं। अब क्षेत्रीय नेता टिकट पाने के लिये रास्ते तलाश करते हैं और उनकी तलाश पूरी होती है इन्ही हुनरमन्द लोगों के पास आकर। जी हां ऐसे लोग टिकट दिलाने में तो ओर भी माहिर हो जाते हैं। यहां तक कि टिकट के दाम भी वही लोग तय करते हैं। बस टिकट पाने वालों का बन गया काम।

कुछ नेता जो राजनीति के सफर मे आगे बढ़ रहे होतें हैं उन्हे भी ऐसे लोगों की बड़ी ज़रुरत रहती है। मान लिजीये कि नेता जी किसी कार्यक्रम में गये तो वहां यही हुनर बाज़ लोग नेता जी का बखान करते हैं। लोगों की नेता जी पंहुच के बारे में विस्तार से बताते हैं। तभी तो लोगों को पता चलता है कि नेता जी कितने रसूख वाले हैं। लोगों मे नेताजी का हव्वा मे बनाने मे ऐसे लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अब ये हुनरमन्द लोग ना हों तो लोगों को क्या पता चले कि नेता जी आखिर हैं क्या चीज़।

नौकरशाही में भी ऐसे लोगों की बड़ी पूछ है साहब। देश की राजधानी हो या प्रदेशों की, सभी जगह चापसूल मंत्र के ज्ञाता लोगों की भूमिका खास रहती है। नौकरशाही मे ये लोग महकमें के भी होते हैं और बाहर के भी लेकिन बाहर लोग राजनीति के मुकाबले यहां ज़रा कम ही चल पाते हैं। किसी की फाइल को आगे बढ़ाने के दाम तय करने हों या कोई लेनदेन का मशवरा करना हो तो ऐसे लोग ही काम आते हैं। साहब को मशवरा भी देतें हैं और झंझटों से बचने का रास्ता भी सुझाते हैं। इसी बहाने अपना भी उल्ला सीधा करते हैं। यही नही आम लोगों के सामने साहब के करीबी बनकर मलाई भी खाते हैं।

इस तरह के लोगों की भारत मे कोई कमी नही है जो इस हुनर को सीखकर आगे बढ़ गये हैं। लेकिन हकीकत ये है कि ऐसे लोगों के बिना आज की राजनीति और नौकरशाही की कल्पना करना थोड़ा सा मुश्किल लगता है। दरअसल इन लोगों की ज़रुरत नेताओं और अधिकारियों को ही नही हम सभी को होती है। जब भी कोई काम करना हो तो आमतौर हम खुद ऐसे आदमी की तलाश करते हैं जो नेताजी या साहब का खास हो। कभी ये नही सोचते कि वो आदमी खास बना कैसे। अरे जनाब यही वो हुनर है जो उस आदमी को खास बना देता है। और उसी की वजह से हम और आप उसे तलाश करते हैं। क्योंकि सीधे रास्ते से काम कराना कितना मुश्किल है ये आप भी जानते हैं और हम भी।

चापलूसी का हुनर कुछ लोगों मे जन्मजात होता लेकिन अधिकतर उसे राजनीति और नौकरशाही में आने के बाद सीख पाते हैं। वैसे नेताओं और अधिकारियों के आस-पास रहने से भी इस हुनर का ज्ञान मिल जाता है। इसी हुनर का कमाल है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के दो दिवसीय अधिवेशन मे विधानसभा का टिकट पाने की होड़ मे लगे ऐसे ही कुछ चापलूस नेताओं ने कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी को प्रदेश की अगली मुख्यमंत्री बता डाला। ऐसे मे मेड़म का खुश होना लाज़मी था। साथ खड़े सभी कार्यकर्ताओं ने भी जोश मे मेड़म की जय-जयकार ड़ाली। ये तो एक नमूनाभर है ऐसे ही लोगों की एक बड़ी जमात कांग्रेस के युवराज के साथ भी चलती है।

अब आप इसी बात से अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि हमारे समाज में चापलूसी कितनी अहम चीज़ है अगर ये ना होती तो शायद कई बड़े नेताओं का वजूद भी ना होता। नौकरशाही में भी मज़ा ना होता। लेकिन कभी कभी ये हुनर होने का खामियाज़ा भी भुगतना पड़ता है।

2 comments:

Unknown said...

Bahut Khoob sir.. Aapka ye andaaz bhi lajwab hai. TV par to aapka kamaal kai baar dekha hai par aapko likhne ki bhi maharat hasil hai. Khuda aapko khoob trakki de.
Aapka
S.Raju

Aap aur Hum said...

wah bht achchi aur sachchi baat likhi hai parvez ji aapne... :)