परवेज़ सागर, नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जनपद की बेहट विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी घोषित किए गए उमर ख़ान की नागरिकता को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। उमर ख़ान के पिता सरफराज ख़ान पाकिस्तानी नागरिक हैं और लंबे समय से भारतीय वीज़ा (एलटीवी) पर यहां रह रहे हैं। हालांकि उमर खान की माता भारतीय नागरिक हैं लेकिन उमर अप्रैल 1997 में पाकिस्तान में पैदा हुए थे। उस वक़्त उनकी मां पाकिस्तान गयी हुईं थी। उमर के पिता ने भारतीय नागरिकता के लिए कई साल पहले गृह मंत्रालय को अर्ज़ी दी थी लेकिन उनकी इस अर्ज़ी पर अभी तक कोई फ़ैसला नहीं हुआ है।
उमर की नागरिकता को लेकर मचे इस बवाल से उनके टिकट पर संकट के बादल मंडराने लगें हैं। उमर दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी के दामाद हैं और उन्हीं की पैरवी पर मुलायम सिंह यादव ने उन्हे काज़ी रशीद मसूद के भतीजे और विधायक इमरान मसूद का टिकट काटकर उम्मीदवार बनाया है। हालांकि इमरान को नकुड़ सीट से टिकट मिला है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक़ इमरान मसूद नकुड़ सीट के बजाए बेहट से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं इसीलिए वो उमर की नागकरिकता के विवाद को गुपचुप तरीक़े से हवा दे रहे हैं। सहारनपुर में समाजवादी पार्टी के लोग उमर समर्थक और उमर विरोधी ख़ेमें में बंट गए हैं। इस खेमे बंदी से उमर की नागरिकता का विवाद गहराता जा रहा है। आगे चल कर मुलायम सिंह यादव भी इस विवाद की चपेट मे आ सकते हैं।
उमर का विरोध करने वालों का आरोप है कि उमर खान एक विदेशी नागरिक हैं क्योंकि उनके पिता सरफराज़ खान एक पाकिस्तानी नागरिक हैं और भारत मे कोई भी चुनाव लड़ने के लिए उसका भारतीय नारगिक होना पहली शर्त है। जबकि उमर खान का पक्ष लेने वालों का कहना है कि उनके पिता पाक नागरिक हैं लेकिन वो शादी के बाद से ही “लॉन्ग टर्म वीज़ा” पर भारत में ही अपनी पत्नी के साथ रहते हैं और उन्होंने गृहमंत्रालय में नागरिकता के लिये आवेदन किया हुआ है। उमर खान की माता भारतीय हैं और वो सहारनपुर के नवाब पठेड़ परिवार से ताल्लुक़ रखती हैं। उमर का पक्ष लेने वालों का कहना है कि शादी के बाद उमर की मां ने अपने पति को साफ़ तौर पर कह दिया था कि वो पाकिस्तान नहीं जाएंगी और हमेशा भारत मे ही रहेंगी।
अचानक नागिरकता के मसले पर सुर्खियों मे आये उमर खान दिल्ली की जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी के दामाद हैं और ये रिशतेदारी उनके लिए जहां टिकट पाने मे फायदेंमद साबिक हुई वहीं अब नागरिकता का विवाद गहराने पर जंजाल भी बन गयी है। जानकार इस पूरी कवायद को सियासी क़रार दे रहे हैं। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी कल्याण सिंह के साथ हाथ मिलाने का खामियाज़ा भुगत चुकी है इसी वजह से अब वो मुसलमानों को रिझाने की कोशिश मे लगी हुई है। अयोध्या फैसला आने के बाद मुलायम सिंह और सैयद अहमद बुख़ारी के बीच काफी नज़दीकियां बढ गई हैं। इस बीच अहमद बुखारी ने मुलायम सिंह के मन माफिक कुछ काम भी किये। उसी के एवज मे सपा प्रमुख ने सपा के राष्ट्रीय महसचिव एंव राज्यसभा सांसद काजी रशीद मसूद के भतीजे इमरान मसूद का टिकट काटकर उमर खान को दे दिया। हालाकि इमरान मसूद ने अभी तक खुलकर इस बात का विरोध नही जताया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि वो बेहट से अपना टिकट काटे जाने पर खासे नाराज़ हैं और अपने ग़ुस्से का इज़हार करने के लिये सही मौके का इन्तज़ार कर रहे हैं।
गौरतलब है कि नये परिसीमन मे सहारनपुर की मुज़फ्फराबाद सीट अब बेहट विधानसभा के नाम से जानी जायेगी। इमरान पिछली बार समाजवादी पार्टी से बग़ावत कर इस सीट से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे। इमरान मसूद ने यहां लगातार तीन बार विधायक और मंत्री रहे जगदीश राणा को हराया था और वो दोबारा इसी सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। इमरान मानते हैं कि अगर वो इसी सीट से चुनाव लड़ेगें तो उनकी जीत पक्की है। उमर खान के टिकट को लेकर अभी तो सिर्फ समाजवादी पार्टी में ही अन्दरुनी तौर पर विरोध के स्वर फूटें हैं। मामला ज़्यादा बढ़ने विपक्षी पार्टियां भी इस मुद्दे को भुनाने मे पीछे नही रहेंगी। सूत्रों का कहना कि इस मामले को लेकर हो रहे विरोध को इमरान मसूद गुट भी हवा देने मे जुटा है। दरअसल इस मामले के उठने और उमर खान का टिकट कटने से अगर किसी को फायदा होगा तो वो सिर्फ इमरान मसूद हैं।
अब देखने वाली बात ये है कि तमाम विवादों और अटकलों के बीच सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव इस मामले को लेकर क्या कदम उठायेंगें। अगर वो उमर खान का टिकट काटते हैं तो अहमद बुखारी से बने उनके रिश्तों मे खटास आना लाज़मी है। मुलायम सिंह इस वक्त ये जोखिम नहीं उठाना चाहेंगे। अगर उमर का टिकट नही काटा जाता तो चुनाव के दौरान सपा का एक गुट उमर के ख़िलाफ़ किसी और के साथ हो सकता है। इससे ज़िले की बाक़ी सीटो पर भी समाजवादी पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। उमर की नागरिकता को लेकर गहराता विवाद अब मुलायम सिंह के गले की फांस बनता जा रहा है। उमर खान भारत के नागरिक हैं या पाकिस्तान के ये फैसला तो गृहमंत्रालय और चुनाव आयोग को करना होगा। लेकिन इस विवाद से समाजवादी पार्टी को नुकसान ज़रुर हो रहा है। फिलहाल इस बारे मे बात करने के लिये उमर खान उपलब्ध नहीं हैं। वो इस वक्त उमरे के लिये सऊदी अरब की य़ात्रा पर हैं। उनका ग़ैर मौजूदगी में उनके समर्थक पूरे मामले को दबाने की पुरज़ोर कोशिश में लगे हुये हैं।