Tuesday, July 20, 2010

Please reduce long time calls

1 Egg
2 Mobiles
65 minutes of connection between mobiles.
We assembled something as per image.
Initiated the call between the two mobiles and allowed 65 minutes approximately...
During the first 15 minutes nothing happened;
25 minutes later the egg started getting hot;
45 minutes later the egg is hot;
65 minutes later the egg is cooked.
Conclusion: The immediate radiation of the mobiles has the potential to modify the proteins of the egg. Imagine what it can do with the proteins of your brains when you do long calls.
Please try to reduce long time calls on mobile phones and pass this message to all your friends you care for.

Thursday, July 1, 2010

मुद्दा क्या है- नक्सल या कश्मीर ?

हाल ही मे देश के दो राज्यों मे हुये दो बड़े हादसे शायद महंगाई के मुद्दे पर चौतरफा घिरी केन्द्र सरकार के लिये वरदान जैसे लग रहें हैं। कश्मीर मे जहां अलगवादी ताकतों के सर उठाने की बात सामने आयी है वहीं नक्सलियों ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर मे हमला करके सीआरपीएफ के 27 जवानों को मौत की नींद सुला दिया। ये दोनों हादसे ऐसे वक्त पर हुये है जब केन्द्र सरकार महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर विपक्ष के निशाने पर है। देश के कोने कोने मे सरकार के खिलाफ आवाजें उठ रही थी। लेकिन अचानक कश्मीर के सोपोर और छत्तीसगढ़ के नारायणपुर मे हुये हमले ने सरकार और विपक्ष का ध्यान बंटा दिया। मुद्दों की अगर बात करें तो विपक्ष और सरकार के बीच इस पर बयानबाज़ी चलती रहती है। रही बात देश की जनता की तो वो कुछ दिन चिल्लाती है और फिर हमेशा की तरह शान्त होकर महंगाई का बोझ अपने कंधों पर ढोती है।
इस पर भी गज़ब की बात ये है कि देश के गृहमंत्री पी.चिदाम्बरम मीड़िया से रु-ब-रु हुये। उनको ना तो मंहगाई से कोई मतलब था और ना ही छत्तीसगढ़ में शहीद हुये जवानों से। उन्हे तो केवल कश्मीर दिख रहा था। उनका सारा फोकस केवल कश्मीर पर रहा। जब बात छत्तीसगढ़ की बात आयी तो उन्होने घटना की जानकारी देकर इतीश्री कर ली। जबकि सारा घटनाक्रम तो पहले ही मीड़िया और देश की जनता को पता था। जब-जब उनसे नक्सल समस्या के बारे मे सवाल पूछे गये गृहमंत्री जी घूम-फिर कर कश्मीर पर जा पंहुचे। कमाल की बात ये थी कि सारी मीड़िया इस प्रेस वार्ता के लिये इसलिये उत्सुक थी कि शायद छत्तीसगढ़ के नारायणपुर मे हुये नक्सली हमले पर सरकार कुछ संदेश देना चाहती है। लेकिन यहां तो सब उल्टा हो गया। गृहमंत्री ने कश्मीर मे हो रही घटनाओं को हाईलाईट करते हुये सोपोर मे आतंकी संगठन लश्कर के सक्रीय होने की बात कह कर बड़ी ख़बर तो दे दी लेकिन छत्तीसगढ़ के नक्सली हमले पर उन्होने ये कह दिया कि वो इस बात की जांच कराऐंगे कि क्या कहीं इसमे चूक हुई है। यहां इन सब बातों को कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि इन सबके पीछे कहीं ना कहीं सियासत का रंग दिखाई दे रहा है। कश्मीर में होने वाली कोई भी घटना सरकार के लिये बड़ी होती है। लेकिन छत्तीसगढ़ मे होने वाली घटनाऐं जांच और बैठकों तक ही सीमित क्यों हो जाती हैं? इसका जवाब तो शायद गृहमंत्री के पास भी नही है। छत्तीसगढ़ की जनता और सरकार तो सिर्फ इस समस्या से निजात चाहती है। लेकिन इस वक्त केवल कश्मीर का मामला केन्द्र के लिये ज़्यादा ज़रुरी दिख रहा है क्योंकि सियासीतौर पर नक्सल और महंगाई से बड़ा मद्दा शायद कश्मीर और लश्कर ही है।