Tuesday, March 24, 2009
वो कमरा बात करता था.....
मैं अब जिस घर मे रहता हूँ
बहुत ही खूबसूरत है।
मगर अक्सर यहां
खामोश बैठा याद करता हूँ........
वो कमरा बात करता था।
Wednesday, March 11, 2009
होली मुबारक
आप सभी को होली की ढेरों शुभकामनाऐं। आईये इस होली पर हम सब हिन्दुस्तानी मिलकर भाईचारे और सौहार्द का एक ऐसा रंग तैयार करें जो आतंकवाद रुपी दाग़ पर इस तरह से चढे कि वो दाग हमारे देश की सरज़मी से हमेशा के लिये मिट जाये। एक बार फिर कलम के सभी सिपाहियों को होली की मुबारकबाद...
आपका..
परेवज़ सागर
आपका..
परेवज़ सागर
Saturday, March 7, 2009
दुनिया ये समझती है...
मेरे सरकश तराने सुन के दुनिया ये समझती है
कि शायद मेरे दिल को इश्क़ के नग़मों से नफ़रत है,
मुझे हंगामा-ए-जंग-ओ-जदल में कैफ़ मिलता है
मेरी फ़ितरत को खूं-रेज़ी के अफ़सानों से रग़बत है,
मेरी दुनिया में कुछ वक़त नहीं है रक़्स-ओ-नग़मे की
मेरे महबूब नग़मा शोर-ए-आहंग-ए-बग़ावत है।
कि शायद मेरे दिल को इश्क़ के नग़मों से नफ़रत है,
मुझे हंगामा-ए-जंग-ओ-जदल में कैफ़ मिलता है
मेरी फ़ितरत को खूं-रेज़ी के अफ़सानों से रग़बत है,
मेरी दुनिया में कुछ वक़त नहीं है रक़्स-ओ-नग़मे की
मेरे महबूब नग़मा शोर-ए-आहंग-ए-बग़ावत है।
ज़िन्दगी से जुड़े कुछ अशआर
तुम तकल्लुफ को भी इखलास समझते हो फ़राज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
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कोई काँटा चुभा नहीं होता
अगर फूल सा नहीं होता,
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता।
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ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे,
ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे
अब इतनी भी ज़्यादा सफ़ाई न दे।
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला।
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कोई काँटा चुभा नहीं होता
अगर फूल सा नहीं होता,
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता।
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ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे,
ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे
अब इतनी भी ज़्यादा सफ़ाई न दे।
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